From Bhilwara to Glory: Wrestler Ashwini Vishnoi's Story

 

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 Breaking Barriers: Story of Rising Wrestler Ashwini Vishnoi

 

भारत में कुश्ती को दंगल, मल्ल युद्ध, पहलवानी आदि नामो से भी जाना जाता हैं। कुश्ती क दुनिया जिसे अक्सर पुरुषों के गढ़ के रूप में देखा जाता है, इस गढ़ में लड़कियों ने बार-बार अपनी ताकत का लोहा मनवाया हैं। आमिर खान कि सबसे सफल फिल्मों में से एक "दंगल" की एक मार्मिक पंक्ति है - "म्हारी छोरियां छोरों से कम हे के?" वस्तुतः इस बात से ही प्रेरित होकर लिखी गयी होगी ।  भारतीय लड़कियों ने पारंपरिक रूप से पुरुष-प्रधान क्षेत्र में विभिन्न बाधाओं को पार करते हुए इस कठिन खेल में भी अपनी छाप छोड़ी हैं।

भीलवाड़ा का गौरव रेसलर अश्विनी विश्नोई की प्रेरणादायक कहानी

 
आज हम ऐसी ही एक युवा पहलवान (रेसलर) कि कहानी आपके सामने  लेकर आये हैं-  जिसका नाम हैं अश्विनी विश्नोई । अश्विनी बिश्नोई अंडर फिफ्टीन एशियाई कुश्ती चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीतने वाली राजस्थान कि पहली रेसलर हैं, जिसने यह उपलब्धि हासिल कर के ना सिर्फ राजस्थान का बल्कि पूरे भारत का नाम अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर रोशन किया हैं । अश्विनी विश्नोई राजस्थान के भीलवाड़ा जिले में जवाहर नगर कॉलोनी में रहने वाली एक साधारण परिवार की लड़की हैं । मरुभूमि कि बेटी अश्विनी ने जॉर्डन के अम्मान के आयोजित सब जूनियर एशियन चैंपियनशिप 2023 प्रतियोगिता में गोल्ड मेडल जीत कर अनगिनत युवा राजस्थानी लड़कियों के लिए सपनों और सफलता का मार्ग प्रशस्त किया हैं और भविष्य के लिए बहुत सारी उम्मीदे जगा डाली हैं ।

आइए हम इस उत्साही युवा लड़की की प्रेरणादायक कहानी के बारे में जाने, जिसने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपने देश का गौरव बढ़ाया, चुनौतियों पर विजय प्राप्त कि और अंडर-15 में 62 किलोग्राम भार वर्ग में कड़ी प्रतिस्पर्धा करते हुए चमचमाता स्वर्ण पदक घर लेकर आयी ।

रेसलर अश्विनी के पिता जो एक टेक्सटाइल फ़ैक्टरी में एक साधारण कर्मचारी के रूप में कड़ी मेहनत करते हैं । कुश्ती के क्षेत्र में भतीजों की सफलता को देखकर उन्हें प्रोत्साहन की शक्ति का एहसास हुआ। और इसलिए, उन्होंने अपनी बच्ची, अश्विनी को सशक्त बनाने और कुश्ती के प्रति अश्विनी के जुनून को पोषित करने का बीड़ा उठाया।

 
 

अश्विनी विश्नोई और उनके परिवार के बारे में जानकारी -

 
  • अश्विनी विश्नोई का जन्म 12 अक्टूबर 2008 को राजस्थान के भीलवाड़ा में हुआ ।
  • अश्विनी विश्नोई का वजन 62 किलोग्राम हैं ।
  • अश्विनी विश्नोई की  ऊंचाई 5 फीट 3 इंच हैं ।
  • अश्विनी विश्नोई के पिता श्री मुकेश विश्नोई एक फिट्टर हैं जो जयदीप टेक्सटाइल, भीलवाड़ा में कार्यरत है । 
  • अश्विनी की सेहत का पूरा ख्याल  उनकी माँ श्रीमती चंचल विश्नोई रखती हैं ।
  • छोटी बहन भूमिका विश्नोई हैं जो कक्षा 6 में अध्ययनरत है । 
  • अश्विनी विश्नोई अभी आस्था अकेडेमी, भीलवाड़ा में कक्षा 11 (कला संकाय) में अध्ययनरत हैं ।

अश्विनी ने अपने चचेरे भाई विकास विश्नोई, जो कुश्ती के क्षेत्र में एक राष्ट्रीय स्वर्णपदक विजेता हैं, से प्रेरित होकर अपने हौसले बुलंद करने शुरू किये। अश्विनी इस क्षेत्र में पिछले पांच वर्षों से निरंतर मेहनत कर रही हैं ।

 

रेसलर अश्विनी विश्नोई की अंतर्राष्ट्रीय, राष्ट्रीय, राज्य, और क्षेत्रीय स्तर पर कुश्ती में उपलब्धियाँ -

 

 

अंतर्राष्ट्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर कुश्ती में अश्विनी की उपलब्धियाँ -
 

Ashvini Vishnoi Medal and Trophy

 
  • अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अश्विनी ने जॉर्डन के अम्मान शहर में आयोजित अंडर -15 सब जूनियर एशियन चैंपियनशिप 2023 में गोल्ड मेडल जीता
  • राष्ट्रीय स्तर पर 2023 में आयोजित ऑल इंडिया अंडर - 15 कुश्ती ट्राइल टूर्नामेंट में अश्विनी विश्नोई ने प्रथम स्थान प्राप्त किया
  • अश्विनी विश्नोई ने राष्ट्रीय स्तर पर नंदिनी नगर में आयोजित अंडर - 17 एफ/एस महिला राष्ट्रीय चैंपियनशिप 2023 में रजत पदक जीता
  • अश्विनी विश्नोई ने राष्ट्रीय स्तर पर पटना में आयोजित अंडर -15 नेशनल सब जूनियर चैंपियनशिप 2022 में गोल्ड मेडल जीता
  • अश्विनी विश्नोई ने राष्ट्रीय स्तर पर रांची में आयोजित अंडर -15 नेशनल सब जूनियर चैंपियनशिप 2022 में सिल्वर मेडल जीता
  • अश्विनी विश्नोई ने राष्ट्रीय स्तर पर नंदिनी नगर में आयोजित अंडर -15 नेशनल सब जूनियर चैंपियनशिप 2022 में सिल्वर मेडल जीता
  • अश्विनी विश्नोई ने राष्ट्रीय स्तर पर बहादुर गढ़ में आयोजित अंडर -15 सब जूनियर नेशनल चेम्पियनशिप 2022 में सिल्वर मेडल जीता
  • अश्विनी विश्नोई ने राष्ट्रीय स्तर पर रोहतक में आयोजित अंडर -15 सब जूनियर नेशनल चैंपियनशिप 2022 में ब्रोंज मेडल जीता

 

राज्य और क्षेत्रीय स्तर पर कुश्ती में अश्विनी की उपलब्धियाँ -
 

  • अश्विनी ने 2022 में उदयपुर संभाग के नाथद्वारा में आयोजित कुश्ती प्रतियोगिता में राजस्थान कुमारी का ख़िताब अपने नाम किया
  • अश्विनी ने देवगढ़ में आयोजित कुश्ती प्रतियोगिता 2022 के दौरान राजस्थान कुमारी का ख़िताब अपने नाम किया
  • 2022 में भीलवाड़ा महोत्सव के दौरान टाउन हॉल में आयोजित कुश्ती प्रतियोगिता में महिला केसरी का ख़िताब अपने नाम किया
  • 2022 में छोटी सादड़ी में आयोजित कुश्ती प्रतियोगिता में उप राजस्थान केसरी का ख़िताब अपने नाम किया
  • 2022 में भीलवाड़ा की श्री कृष्ण व्यायामशाला में आयोजित मासिक दंगल प्रतियोगिता में महिला केसरी का ख़िताब अपने नाम किया

 

अश्विनी विश्नोई का जॉर्डन के अम्मान शहर में आयोजित अंडर -15 सब जूनियर एशियन चैंपियनशिप 2023 में गोल्ड मेडल जीतने का सफर -

 
अश्विनी श्रीकृष्ण व्यायामशाला में प्रतिदिन 6-8 घंटे तक अभ्यास करती हैं और साथ ही अभी 11वीं कक्षा (कला संकाय) में अध्यनरत है। इतना ही नही अश्विनी के पापा ने घर पर भी अभ्यास करने के उपकरण लगवाए है, जिनकी सहायता से अश्विनी अपने चचेरे भाई के साथ घर पर भी अभ्यास कर पाती हैं । इन 5 वर्षों में अश्विनी ने राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर कई सिल्वर, गोल्ड तथा ब्रोंज मेडल जीते हैं।

जॉर्डन के अम्मान शहर में आयोजित एशियन चैंपियनशिप 2023 प्रतियोगिता में अश्विनी विश्नोई ने महिला वर्ग में 62 kg भार तक फ्री स्टाइल कुश्ती में भाग लिया था । अश्विनी का पहला मुक़ाबला ये चेन (चीनी ताइपे) से था जिसे अश्विनी ने 4:0 से जीता । क्वार्टर फाइनल मुक़ाबले में अश्विनी ने ऐना असमावलोका (किर्गिस्तान) को 8:0 से हराया । सेमीफाइनल में अश्विनी का मुक़ाबला नातसुखी कुमाझावा (जापान) से हुआ ये मैच अश्विनी विश्नोई ने 4:0 से जीता । अंडर -15 एशियन चैंपियनशिप के फाइनल में अश्विनी विश्नोई ने ऐना असमावलोका (किर्गिस्तान) को 4:0 से हराकर भारत के लिए गोल्ड मेडल जीता और देश का नाम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रोशन किया ।

Ashvini Vishnoi Jordan Gold Medal

   

अश्विनी विश्नोई का Techniajz के साथ साक्षात्कार -

 

अंडर -15 एशियन चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीतने पर Techniajz से हमारी सहकर्मी अनीता शर्मा ने अश्विनी विश्नोई से मुलाक़ात कि और उनकी इस अभूतपूर्व जीत कि बधाई दी । अनीता शर्मा ने अश्विनी विश्नोई से अलग-अलग विषयों पर बहुत सारी बातें कि । उन दोनों कि बातचीत कि कुछ झलकियाँ हम यहाँ प्रस्तुत कर रहे हैं । आशा है, आपको अश्विनी का ये साक्षात्कार पसंद आयेगा और निस्संदेह आपको अपने जीवन के उद्देश्यों को पूरा करने के लिए प्रेरित करेगा।
 

Ashwini Vishnoi and Anita Sharma

 

अनीता शर्मा: आपके परिवार में कौन-कौन हैं ?

रेसलर अश्विनी विश्नोई: हम एक संयुक्त परिवार में रहते हैं जिसमे मेरे मम्मी-पापा, दादाजी और दादीजी, छोटी बहन और भाई के साथ मेरे दो ताऊजी का परिवार शामिल है ।

 

अनीता शर्मा: आपको घर पर सब किस नाम से बुलाते हैं ?

रेसलर अश्विनी विश्नोई: घर पर सब मुझे अश्विनी नाम से ही बुलाते हैं 



अनीता शर्मा: कुश्ती में आपकी शुरुआत कैसे हुई और किस चीज़ ने आपको इसे करियर के रूप में अपनाने के लिए प्रेरित किया?

रेसलर अश्विनी विश्नोई: कुश्ती से मेरा परिचय बचपन में ही हो गया था क्योंकि मेरे दोनों ताऊजी और पापा को शुरू से ही कुश्ती (रेसलिंग) में दिलचस्पी  थी । बाद में मेरे चचेरे भाई – विकास विश्नोई, रवि विश्नोई और हर्ष विश्नोई भी पहलवानी करने लगे और सब ने कुश्ती के क्षेत्र में सफलता प्राप्त कि ।

इन सबको देखकर कुश्ती से जुड़ाव तो बचपन से ही हो गया था लेकिन मेरी कुश्ती कि शुरुआत के पीछे असली कारण 2018 में चचेरे भाई का कुश्ती में गोल्ड मेडल जीतना है । जब वो कुश्ती में गोल्ड मेडल जीतकर वापस घर आए तो उस समय घर में जो खुशी और हर्षोल्लाश का माहौल था उससे मुझे प्रेरणा मिली और मैंने भी इस खेल में अपना कैरियर बनाने कि मन में ठानी । मेरे पापा ने मुझे कुश्ती में अपना कैरियर बनाने कि प्रेरणा दी और मेरा मार्गदर्शन किया ।

 

Ashwini Vishnoi with Family  



अनीता शर्मा: आप वर्तमान में किस व्यायामशाला (अखाड़े) से प्रशिक्षण प्राप्त कर रही हैं  और आपके कोच, गुरु कौन हैं ?

रेसलर अश्विनी विश्नोई: मैं अभी भीलवाड़ा में संचालित श्री कृष्ण व्यायामशाला में प्रशिक्षण ले रही हूँ । मेरे गुरु श्री कृष्ण व्यायामशाला संचालक श्री राजेंद्र जी गुर्जर और श्री तेजेंद्र जी गुर्जर हैं, और मेरे कोच श्री राजेश जी दलाल और श्री प्रदीप जी चार हैं



अनीता शर्मा: अपनी दिनचर्या के बारे में कुछ बताइये?

रेसलर अश्विनी विश्नोई: मैं हर सुबह 4.30 बजे उठ जाती हूँ और 5 बजे तक श्री कृष्ण व्यायामशाला पहुँच जाती हूँ । श्री कृष्ण व्यायामशाला में सुबह 5 बजे से 8 बजे तक कोच सर और गुरुजी कि देखरेख में ट्रेनिंग करती हूँ । इसके बाद में घर आ जाती हूँ और घर आकर मेरे पापा द्वारा तैयार डाइट लेकर आराम करती हूँ ।

उसके बाद 11 बजे से 1 बजे तक घर पर ही पापा द्वारा निर्मित कुश्ती शेड में अपने चचेरे भाई के साथ कुश्ती कि प्रेक्टिस करती हूँ । इस प्रेक्टिस के बाद वापस डाइट/खाना लेकर आराम करती हूँ । शाम 4.30 बजे से 8 बजे तक वापस श्री कृष्ण व्यायामशाला में ट्रेनिंग करती हूँ और घर आकर डाइट प्लान के हिसाब से डाइट/खाना लेती हूँ और जल्दी सो जाती हूँ ताकि सुबह वापस समय से उठ कर व्यायामशाला जाकर ट्रेनिंग कर सकूँ ।



अनीता शर्मा: ट्रेनिंग के समय आपकी डाइट क्या रहती है?

रेसलर अश्विनी विश्नोई: सुबह उठने से लेकर रात को सोने तक मेरा पुरा डाइट प्लान मेरे पापा ही तैयार करते हैं । मॉर्निंग में फ्रूटस, ट्रेनिंग टाइम में लिक्विड डाइट जिसमे ड्राइ फ्रूटस, खजूर, मुन्नका, अंजीर, और BCAA आदि शामिल है । ट्रेनिंग से घर आकार बादाम, जूस, ड्राइ फ्रूट शेक (पिस्ता, काजू, अखरोट), पनीर, और खाना आदि लेती हूँ जो मेरी डाइट का हिस्सा होते है ।



अनीता शर्मा: आपको खाने में क्या पसंद है और क्या नहीं?

रेसलर अश्विनी विश्नोई: मुझे भिंडी की 
 सब्जी बहुत पसंद है । और करेले की सब्जी मुझे बिलकुल नहीं पसंद ।



अनीता शर्मा: आप किस कुश्ती शैली और तकनीक में सबसे अधिक सहज महसूस करती हैं?

रेसलर अश्विनी विश्नोई: कुश्ती में मुझे फ्री स्टाइल शैली और तकनीक में पट और कलाजंग दांव लगाना मुझे पसंद है ।



अनीता शर्मा: जॉर्डन में भारत के लिए गोल्ड मेडल जीतने पर आपको कैसा महसूस हुआ?

रेसलर अश्विनी विश्नोई: गोल्ड मेडल जीतने के बाद मुझे जो महसूस हुआ उसको शब्दो में बता पाना मुश्किल है । अपने देश के लिए स्वर्ण पदक जीतकर मैं बहुत खुश  हूं ।



अनीता शर्मा: आपका सबसे मुश्किल मैच कौनसा रहा?

रेसलर अश्विनी विश्नोई: मेरा अब तक का सबसे मुश्किल मैच सेकंड ग्रांड प्रिक्स में सविता (हरियाणा) के साथ रहा । सविता विश्व महिला कुश्ती सब जूनियर चैंपियनशिप में गोल्ड मेडलिस्ट और सब जूनियर एशियन चैंपियनशिप में गोल्ड मेडलिस्ट है । ये मैच वो 4:0 से जीती थी ।



अनीता शर्मा: आपका सपना क्या हैं ?

रेसलर अश्विनी विश्नोई: मेरा बस एक ही सपना है कि मैं कुश्ती में निरंतर अच्छा प्रदर्शन करती रहूँ और ओलंपिक में भारत में लिए कुश्ती में गोल्ड मेडल हासिल कर सकूँ ।



अनीता शर्मा: आप लाइव दर्शकों के सामने प्रतिस्पर्धा के दबाव में खुद को कैसे संभालती हैं, और ऐसे समय पर ध्यान केंद्रित करने के लिए आप क्या करती हैं?

रेसलर अश्विनी विश्नोई: जब भी मेरा मैच होता है तो मैच शुरू होने से मैच खत्म होने तक मेरा पूरा ध्यान मैच पर ही केन्द्रित करती हूँ । मैच के दौरान किस टैक्नीक का उपयोग कर मैं अपने विरोधी को मात दे सकु, और कैसे मुझे अपने विरोधी के दावों को डिफेंड करना है इन सब बातों पर ही मेरा पूरा फोकस रहता है ।



अनीता शर्मा: रिंग में कदम रखने से पहले के क्षणों में आपके दिमाग में क्या चलता हैं ?

रेसलर अश्विनी विश्नोई: मैच शुरू होने से पहले में सिर्फ कुश्ती के बारे में ही सोचती हूँ  । मैं खुद से कहती हु कि मुझे इस मैच में अपना बेस्ट देना है, अपना 100% देकर ये मैच जीतना है ।



अनीता शर्मा: जब कभी किसी मैच का रिज़ल्ट आपके पक्ष में नही आता हैं तो आप कैसे खुद को मोटीवेट करती हैं ?

रेसलर अश्विनी विश्नोई:  जब कभी भी किसी मैच का नतीजा मेरे पक्ष में नहीं आता है तो मुझे अपने पापा कि कहीं बात याद आती है -  “ज़िंदगी की ये ही रीत है, आज हार तो कल जीत है” । बस इस बात को याद करके मैं आगे कि तैयारी में लग जाती हूँ ।

जब किसी मैच में मुझे हार का सामना करना पड़ता है तो हम उस मैच का एनालिसिस करते हैं  कि किस वजह से वो मैच हम हारें, क्या टैक्नीक गलत काम में ली या क्या टैक्नीक प्रयोग में लेनी चाहिए थी । इसके बाद उन सब कमियों पर ज्यादा प्रेक्टिस व ट्रेनिंग करती हूँ । मेरे पापा मेरे सबसे बड़े मोटिवेशन है, वो हमेशा हर कुश्ती के खेल में मेरे साथ होते हैं चाहे वो स्टेट लेवल हो या नेशनल लेवल ।



अनीता शर्मा: आप कुश्ती में होने वाली चोटों से कैसे बचती हैं?

रेसलर अश्विनी विश्नोई: कुश्ती में चोटों से बचने का एक ही तरीका है कि आप अपना पूरा ध्यान गेम पर रखे वरना आपको काफी चोटों का सामना करना पड़ता है । स्वयं को और अपने प्रतिद्वंद्वी को चोट से बचाने के लिए प्रत्येक मैच में बहुत सावधानी से कुश्ती लड़नी चाहिए।



अनीता शर्मा: कुश्ती में आपके रोल मॉडल कौन हैं ?

रेसलर अश्विनी विश्नोई: कुश्ती में मेरे रोल मॉडल ईरान के महान पहलवान हसन याजदानी है ।



अनीता शर्मा: अभी तक के कुश्ती करियर के आपका सबसे यादगार पल कौनसा हैं?

रेसलर अश्विनी विश्नोई: कुश्ती में मेरा अब तक का सबसे यादगार पल जॉर्डन में गोल्ड मेडल जीतकर भारतीय झंडे को लहराना है ।



अनीता शर्मा: छोटे बच्चे जो आपको देख कर कुश्ती में आना चाहते हैं उनके लिए आप क्या सलाह देना चाहेगी?

रेसलर अश्विनी विश्नोई: अभी तो मुझे खुद को बहुत कुछ सीखना है । जो भी कुश्ती के क्षेत्र में आना चाहता हैं उन्हे में यही सलाह दूँगी कि वो सबसे पहले एक अच्छी व्यायामशाला चुने और जब कुश्ती कि प्रेक्टिस शुरू करें तो अच्छे से डाइट प्लान करें जो कि बहुत महत्वपूर्ण होता है और साथ ही बहुत मेहनत करे ।



अनीता शर्मा: आप का अगला मैच कब होगा?

रेसलर अश्विनी विश्नोई: अभी आगे के मेचेज़ का शैड्यूल नही आया हैं ।
 

अश्विनी विश्नोई के पिता श्री मुकेश विश्नोई से बातचीत –

 

अश्विनी के पिता श्री मुकेश विश्नोई कहते है कि मुझे अपनी बेटी अश्विनी पर बहुत गर्व हैं । अश्विनी बचपन से ही अपने भाइयों को कुश्ती खेलते हुए देखकर बड़ी हुई है । 2018 में जब मेरे भतीजे ने कुश्ती में गोल्ड मेडल जीता था तो उसे देखकर अश्विनी ने भी कुश्ती करने कि ठानी लेकिन जब मुझे पता चला ये कुश्ती करना चाहती है तो पहले मैंने मना कर दिया था। लेकिन अश्विनी नही मानी और इसने दौड़ लगाना शुरू कर दिया, साथ ही थोड़ी बहुत प्रेक्टिस भी शुरू कर दी। एक दिन अश्विनी कि मम्मी ने कहा कि इसको भी कुश्ती कि ट्रेनिंग कराओ इसका इतना मन है और ये मेहनत भी कर रही है । तब मैंने सबसे पहले अश्विनी से कहा - अगर कुश्ती करनी है तो पूरा ध्यान इसमे ही देना होगा और ये भी समझाया कि कुश्ती में कितनी मेहनत लगेगी ।

कुछ समय बाद मैंने वापस अश्विनी से पूछा कि क्या वो अब भी कुश्ती करना चाहती है तो वो बोली कि – हाँ, मुझे कुश्ती करनी है ।  बस उस दिन से अश्विनी का कुश्ती का सफर शुरू हो गया । मेरी अब तक कि जो भी कमाई थी वो सब मैंने अश्विनी पर लगा दी है । अश्विनी के पिता श्री मुकेश विश्नोई कि बस एक ही चाह है कि अश्विनी कम से कम चार ओलंपिक मेडल जीते । अश्विनी के पिता कहते है कि अश्विनी के लिए मेरे से जो बन पाएगा मैं वो करूंगा चाहे इसके लिए मुझे अपना सब कुछ बेचना ही क्यू ना पड़े । श्री मुकेश विश्नोई ने बताया के अखिल भारतीय विश्नोई महासभा द्वारा अश्विनी को जॉर्डन में गोल्ड मेडल जीतने के लिए बधाई दी गयी और साथ ही 1 लाख रूपये का चेक देकर उसे सम्मानित किया गया ।

अश्विनी के कठोर प्रशिक्षण और सावधानीपूर्वक व्यवस्थित डाइट व्यवस्था के लिए संसाधनों के निर्बाध प्रवाह को सुनिश्चित करने के लिए प्रति माह लगभग 30,000 से 50,000 रुपये खर्च आता हैं। यह समर्पित प्रतिबद्धता अश्विनी के पिता द्वारा पूरे महीने उठाए गए भारी बलिदानों और वित्तीय तनावों को उजागर करती है, इस बात पर जोर देती है कि उत्कृष्ट प्रदर्शन हासिल करने के लिए अश्विनी के दृढ़ संकल्प का समर्थन करने के लिए वह कितने प्रयासरत हैं ।
 

अश्विनी कि यात्रा हमें सिखाती हैं कि अटूट समर्थन, अटूट समर्पण और रूढ़ियों से मुक्त होने के साहस के साथ, कोई भी सभी बाधाओं को पार कर सकता हैं और अपने सपनों को पूरा कर सकता है। अश्विनी कि कहानी समय कि रेत में गूंजती सशक्तीकरण के एक नए युग कि शुरुआत करती है और विपरीत परिस्थितियों में मानवीय भावना कि जीत का जश्न मनाती है।

 


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Comments

sanjay Prajapat Aug 16, 2023

Garv hai hame bhilwara ki beti par ese hi bhilwara ka name aage bhdhao

manish soni Aug 16, 2023

Great! Rajasthan ki betiya ese hi rajasthan ka nam ucha karti rahe

ram sharma Aug 16, 2023

Great!

3 Comments

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