Kuchipudi Dance: A Mesmerizing Blend of Elegance and Allure
आंध्र प्रदेश का लोक नृत्य: कुचिपुड़ी
आंध्र प्रदेश का लोक नृत्य कुचिपुड़ी का परिचय :
कुचिपुड़ी, आंध्र प्रदेश का एक शास्त्रीय नृत्य है। कुचिपुड़ी नृत्य को पुरुष और महिला दोनों करते हैं। कुचिपुड़ी नृत्य को तीन भागो में बांटा गया है - नृत्त (शुद्ध नृत्य), नृत्य (अभिव्यंजक नृत्य), और नाट्य (नाटकीय नृत्य)। कुचिपुड़ी नृत्य में गायन और नृत्य दोनों किया जाता है।
कुचिपुड़ी नृत्य में हाथ के इशारे और चेहरे के भाव महत्वपूर्ण होते हैं। कुचिपुड़ी नृत्य अन्य भारतीय शास्त्रीय नृत्यों से प्रभावित है। कुचिपुड़ी नृत्य को शुरू करने से पहले कुछ नियम का पालन करना होता है जैसे - पवित्र जल छिड़कना, अगरबत्ती जलाना और भगवान से प्रार्थना करना शामिल हैं।
कुचिपुड़ी लोक नृत्य कहाँ का प्रसिद्ध है?
कुचिपुड़ी लोक नृत्य आंध्र प्रदेश का प्रसिद्ध है। कुचिपुड़ी नृत्य दक्षिणी भारत के सभी क्षेत्रों में किया जाता है लेकिन अपनी अलग पहचान के कारण ये नृत्य दक्षिणी भारत के साथ-साथ उतरी भारत में भी किया जाता है
कुचिपुड़ी की शुरुआत कहां से हुई थी?
17वीं शताब्दी में सिद्धेन्द्र योगी ने कुचिपुड़ी नृत्य की शुरुआत की। कुचिपुड़ी नृत्य एक शास्त्रीय नृत्य है, कुचिपुड़ी नृत्य की शुरुआत आंध्र प्रदेश राज्य के कृष्णा जिले के " कुचिपुड़ी " गांव से हुई है ।
कुचपुड़ी गांव के ब्राह्मणो के द्वारा इस नृत्य को किया जाता था। ये ब्राह्मण भागवतथालू कहलाते थे। पहले कुचिपुड़ी नृत्य को केवल पुरुषो के द्वारा किया जाता था लेकिन समय के साथ-साथ यह नृत्य महिलाओं द्वारा भी किया जाने लगा।
कुचिपुड़ी नृत्य कब किया जाता है?
कुचिपुड़ी नृत्य आंध्रप्रदेश के हर समारोह, त्योहार, व अन्य पारिवारिक कार्यक्रम में किया जाता है।कुचिपुड़ी नृत्य के नाटक तेलुगु भाषा में लिखे जाते हैं। कुचिपुड़ी नृत्य में लास्य और भक्ति रस को प्रस्तुत किया जाता है।
कुचिपुड़ी नृत्य कैसे किया जाता है?
कुचिपुड़ी नृत्य को एक विशेष परंपरागत विधि से किया जाता है। कुचिपुड़ी नृत्य को मंच पर प्रस्तुत करने से पहले परंपरागत तरीके से पूजन किया जाता है और उसके बाद प्रत्येक कलाकार मंच पर प्रवेश करता है और धारवु के द्वारा अपना पात्र-परिचय देता है। पात्रों के परिचय के बाद मुख्य नाट्य आरम्भ होता है।
प्रसिद्ध कुचिपुड़ी नृत्यांगना कौन है?
कुचिपुड़ी नृत्य के लिए मुंगरा यामिनी कृष्णमूर्ति बहुत प्रसिद्ध है। मुंगरा यामिनी कृष्णमूर्ति का जन्म 20 दिसंबर 1940 को हुआ था। यामिनी भरतनाट्यम और कुचिपुड़ी नृत्य की एक भारतीय नर्तकी हैं।
कुचिपुड़ी के प्रसिद्ध कलाकार कौन है?
वेम्पति चिन्ना सत्यमप्रसिद्ध नर्तक एवं कुचिपुड़ी नृत्य शैली के गुरु हैं।
कुचिपुड़ी नृत्य के अन्य प्रसिद्ध नर्तक हैं- यामिनी कृष्णमूर्ति, राजा एवं राधा रेड्डी, उनकी पुत्री यामिनी रेड्डी, कौशल्या रेड्डी, और भावना रेड्डी ।
कुचिपुड़ी सीखने में कितना समय लगता है?
कुचिपुड़ी नृत्य में पूरी तरह महारत हासिल करने के लिए सात से दस साल का समय लगता है। किसी भी शास्त्रीय नृत्य को सीखने के लिए मुद्राएं, चालें, हाथ के इशारे और भाव महत्वपूर्ण होते हैं।
कुचिपुड़ी नृत्य की पोशाक क्या है?
पुरुष कुचिपुड़ी नर्तक नृत्य के समय अंगवस्त्र पहनता है, जिसे बगलबंदी भी कहा जाता है, और धोती पहनता है। महिला कुचिपुड़ी नर्तक नृत्य के समय साड़ी के साथ पारंपरिक आभूषण पहनती है । कुचिपुड़ी नृत्य में महिला रकुडी (सिर का आभूषण), चंद्र वांकी (बांह का बैंड), अड्डा भासा और कसिना सारा (हार) आदि आभूषण पहनती है । आभूषण बुरुगु लकड़ी से बनाए जाते हैं। बुरुगु लकड़ी हल्की होती है।
कुचिपुड़ी नृत्य की प्रसिद्ध जोड़ी
पद्मश्री राजा रेड्डी और राधा रेड्डी इन्होनें दिल्ली में नाट्य तरंगिनी नाम से कुचिपुड़ी संस्थान की स्थापना की ।
कुचिपुड़ी नृत्य में कौन से वाद्य यंत्र बजते हैं?
नृत्य के साथ मृदंगम, वायलिन, बांसुरी, तंबूरा व मंजीरे, वीणा जैसे वाद्ययंत्रों पर लाइव संगीत बजाया जाता है।
प्रमुख कुचिपुड़ी नाटक कौन से हैं?
- श्रीनिवास कल्याणम
- रुक्मिणी कल्याणम (कृष्ण और रुक्मिणी का विवाह)
- सकुन्तलम् भमाकल्पम्
- हारा विलासम
- प्रह्लाद चरित्रम् (होली सम्बंधित कथा)
- उषा परिणयम्
- शशिरेखा परिणयम्
- राम नाटकम (शायद सबसे पुराना नाटक)
- मोहिनी रुक्मांगदा
- चामुंडेश्वरी सबदा
- अर्धनारीश्वरम् सबदा तथा पेरिनी थंडवम
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