राजस्थान का लोक नृत्य: घूमर
घूमर नाम से ही प्रतीत होता है जैसे - घेर-घूमना । यहां घेर एक मेवाड़ी शब्द है जिसका अर्थ है गोलाकार कतार में घूमना। अथवा घूमर एक लोक नृत्य है जोकि भारत के राजस्थान राज्य में परंपरागत समय से चला आ रहा है । प्राचीन समय में राजस्थान की भील जनजाति ने घूमर नृत्य को मां सरस्वती की आराधना करने के लिए शुरू किया था इसके बाद ही राजस्थानी बिरदारियो ने भी इसे अपना लिया जो आज भी राजस्थान के लोकनृत्य के रूप में सुप्रसिद्ध हैं। यह नृत्य महिलाओं द्वारा घूंघट की आड़ में गोल - गोल घूमते हुए थिरकते पांवों के साथ हाथों का गीत के अनुसार संचालन करते हुए बहुत ही सुन्दरता के साथ प्रस्तुत किया जाता हैं।
घूमर लोक नृत्य समूचे राजस्थान का सुप्रसिद्ध लोकप्रिय नृत्य है। यह लोक नृत्य राजस्थान के कई जिलों में बड़े चाव के साथ किया जाता है इस नृत्य को राजस्थान में थार के रेगिस्तान से लेकर कोटा, बूंदी ,झालावाड़, डूंगरपुर ,बांसवाड़ा, धौलपुर ,करौली आदि अन्य कई क्षेत्रों में भी किया जाता है । इन सभी क्षेत्रों में घूमर को अपने स्तर पर कुछ श्रंगारिक करके किया जाता है परंतु राजस्थान में रेगिस्तान क्षेत्र की घूमर नृत्य में श्रंगारिता सबसे अच्छी होती है।
घूमर लोक नृत्य राजस्थान का लोकप्रिय नृत्य है, इसे राजस्थानी महिलाएं हर छोटे-बड़े शुभ अवसरों पर इस नृत्य की प्रस्तुति जरूर देती है। छात्राएं भी इस नृत्य को विद्यालयों में गणतंत्र दिवस एवं स्वतंत्रता दिवस के समारोह में इसे प्रस्तुत करते हैं । मुख्य रूप से यह नृत्य नवरात्रि,गणगौर, छोटी- तीज, बड़ी- तीज और सावन में, दीपावली - होली जैसे त्योहार एवं शुभ विवाह और मांगलिक कार्यक्रमों में समस्त महिलाएं परिवार में और अपने समाज में इस नृत्य की प्रस्तुति देती हैं।
घूमर नृत्य के प्रसिद्ध नृत्यांगना गुलाबो सपेरा है जिन्हें घूमर नृत्य की कला में राष्ट्रपति ने पद्मश्री का इनाम भी दिया।
गुलाबो सपेरा का जन्म सन 1960 में घुमंतु कालबेलिया परिवार में हुआ था। गुलाबो सपेरा के जन्म के 1 घंटे बाद ही परिजनों द्वारा उन्हें जिंदा दफनाने की कोशिश की गई परंतु उनकी मौसी ने उन्हें उस समय बचा लिया और उनकी मौसी ने ही बाद में उनका लालन-पालन किया । बचपन से ही गुलाबो सपेरा की रूचि नृत्य में थी, धीरे-धीरे गुलाबो सपेरा बड़ी होकर एक नृत्यांगना बन गई थी। कम उम्र ही गुलाबो अपनी नृत्य की प्रस्तुति मंचो पर दिया करती थी। वर्ष 2011में उन्होंने रियलिटी शो बिग बॉस में भाग लिया और इस शो के दौरान दर्शको के कहने पर उन्होंने अपने जीवन की सच्चाई को बताई।इसी तरह गुलाबो सपेरा ने घूमर लोकनृत्य को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाने में अहम भूमिका निभाई और इसी के तहत भारत सरकार ने उन्हें 2016 में राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी द्वारा पद्मश्री पुरस्कार दिया गया।
राजस्थानी लोकनृत्य घूमर को महिलाओं द्वारा गेरदार पोशाक पहनकर मिलकर गोल गोल घूमते हुए घूमर गीत के अनुसार हाथो का संचालन करते हुए किया जाता हैं ।
वैसे तो राजस्थान में आदिवासी क्षेत्र हाडोती क्षेत्र अन्य कई क्षेत्रों में घूमर नृत्य को थोड़े अलग-अलग प्रकार से किया जाता है। इस नृत्य को किसी खास अवसर पर किए जाने के भी अलग-अलग प्रकार होते हैं। जैसे -
घूमर :- यह घूमर साधारण स्त्रियों द्वारा किया जाता है। रजवाड़ी :- राजपूत महिलाओं द्वारा किया जाने वाला । लूर :- यह घूमर नृत्य गरासिया स्त्रियों द्वारा किया जाता है। झूमरियो :- यह नृत्य बालिकाओं द्वारा किया जाता है।
प्राचीन समय से ही राजस्थान में महिलाएं लहंगा - ओढ़ना,कंचली पहनती आई हैं। वैसे ही घूमर नृत्य को राजस्थान के नृत्य की आत्मा माना गया हैं। इस नृत्य को करने के लिए महिला को घेरदार घागरा पहनना आवश्यक होता है जिससे कि इस नृत्य को करते हुए उस महिला के पोशाक का गैर घूमता हुआ दिखाई देता है जो की बहुत ही सुंदर लगता है। इस नृत्य को करने वाली महिला अपनी ओढ़नी से घूंघट निकाले रहती है और यह नृत्य घुंघट की आड में ही करने से बहुत सुंदर प्रतीत होता है।
घूमर नृत्य को हिंदी फिल्म पद्मावत मैं भी बहुत ही सुंदर तरीके से दर्शाया गया है।
राजस्थानी लोकनृत्य घूमर के गीत भी काफी हद सुनने में अच्छे लगते हैं। वैसे इस नृत्य को राजस्थानी महिलाएं ढोल की धुन पर भी बहुत अच्छा प्रस्तुत करती हैं इन गीतों में घूमर नृत्य को श्रृंगारित किया गया है |
ओ म्हारी घूमर छे नखराळी ऐ माँ
ओ म्हारी घूमर छे नखराळी ऐ माँ ओ म्हारी घूमर छे नखराळी ऐ माँ ओ राजरी घूमर रमवा म्हें जास्याँ ओ म्हारी घूमर छे नखराळी ऐ माँ ओ म्हारी घूमर छे नखराळी ऐ माँ घूमर रमवा म्हें जास्याँ ओ राजरी घूमर रमवा म्हें जास्याँ ओ म्हाने रमता ने काजळ टिकी लादयो ऐ माँ ओ म्हाने रमता ने काजळ टिकी लादयो ऐ माँ घूमर रमवा म्हें जास्याँ ओ राजरी घूमर रमवा म्हें जास्याँ ओ म्हाने रमता ने लाडूङो लादयो ऐ माँ ओ म्हाने रमता ने लाडूङो लादयो ऐ माँ घूमर रमवा म्हें जास्याँ ओ राजरी घूमर रमवा म्हें जास्याँ ओ म्हाने परदेशियाँ मत दीजो ऐ माँ ओ म्हाने परदेशियाँ मत दीजो ऐ माँ घूमर रमवा म्हें जास्याँ ओ राजरी घूमर रमवा म्हें जास्याँ ओ म्हाने राठौड़ा रे घर भल दीजो ऐ माँ ओ म्हाने राठौड़ा रे घर भल दीजो ऐ माँ घूमर रमवा म्हें जास्याँ ओ राजरी घूमर रमवा म्हें जास्यां ओ म्हाने राठौड़ा री बोली प्यारी लागे ऐ माँ ओ म्हाने राठौड़ा री बोली प्यारी लागे ऐ माँ घूमर रमवा म्हें जास्याँ ओ राजरी घूमर रमवा म्हें जास्यां ओ म्हारी घूमर छे नखराळी ऐ माँ ओ म्हारी घूमर छे नखराळी ऐ माँ घूमर रमवा म्हें जास्याँ ओ राजरी घूमर रमवा म्हें जास्यां ओ राजरी घूमर रमवा म्हें जास्यां
बाईसा रा बीरा
बाईसा रा बीरा बाई सा रा बीरा जयपुर जाजो सा -२ जैपुर सूं ल्याजो तारा री चुंदड़ी -२
चिरमी म्हारी चिरमलि
चिरमी म्हारी चिरमलि-2 चिरमी रा, चिरमी रा डाळा चार भोळी म्हारी चिरमी रे चिरमी रा डाला चार भोळी म्हारी चिरमी रे
आवे रे हिचकी
निद्रा में किसने याद कियो रे निद्रा में किसने याद कियो रे जगाये साड़ी रैणा रे पिया जगावे, जिया जगावे, दिया जगावे रे आवे रे हिचकी आवे रे हिचकी आवे रे हिचकी हिच.. आवे रे हिचकी आवे रे हिचकी आवे रे हिचकी
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